पूर्व में संभल जिले के तार आतंकी गतिविधियों से जुड़ते रहे हैं। यहां से लापता युवकों से आतंकी संगठन से जुड़ाव के भी कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। लेकिन स्थानीय पुलिस ने उन्हें लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई। इससे उसकी कार्यशैली पर भी सवाल उठते रहे हैं। हैरत की बात यह है कि गुम युवकों के परिजनों ने भी उनकी गुमशुदगी दर्ज कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पुलिस के पास इनका कोई ब्योरा नहीं है लेकिन बताया गया है कि गायब युवकों की संख्या 10 से भी ज्यादा है। जैसे ही संभल के किसी युवक का आतंकी कनेक्शन निकलता है वैसे ही खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो जाती हैं। पर बाद में उनकी भी पड़ताल सुस्त पड़ जाती है। लेकिन इस बार अमेरिका-अफगानिस्तान सेना के संयुक्त ऑपरेशन में मौलाना आसिम उमर उर्फ शन्नू के मारे जाने से संभल में खुफिया तंत्र काफी सक्रिय नजर आ रहा है।
आसिम संभल से 21 वर्ष पहले लापता हुआ था। 2008 में पहली बार आतंकी संगठन में शामिल होने की जानकारी परिजनों को दी गई थी। आसिम उमर उर्फ शन्नू के लापता होने के कुछ वर्ष बाद संभल से कई नौजवान लापता हुए थे। कुछ लौट आए जो निजी कारणों से गए थे और कुछ का कोई पता नहीं है।
संभल पुलिस अधीक्षक, यमुना प्रसाद ने बताया कि खुफिया एजेंसियां अपने स्तर पर पड़ताल कर रही होंगी। स्थानीय पुलिस को फिलहाल गायब युवकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही उनके बारे में वह किसी तरह की पड़ताल में जुटी है।
21 साल बाद फिर खुफिया एजेंसियों को याद आया सईद अख्तर
आतंकी संगठन से जुड़ गया और दुनिया में आतंक के लिए जाना गया। अब अमेरिका और अफगानिस्तान के संयुक्त ऑपरेशन में मारा गया है। परिजनों को उसके मारे जाने का कोई अफसोस नहीं है। क्योंकि वह काफी समय पहले उसको भुला चुके थे। जब उसके आतंकवादी बनने की जानकारी हुई तो रिश्ता भी खत्म कर दिया था। इसी दौर में एक युवक और लापता हुआ था। जिसका नाम सईद अख्तर बताया जाता है।
खुफिया तंत्र को अंदेशा था कि वह भी किसी आतंकी संगठन में काम करता है। कई बार दिल्ली से खुफिया विभाग के अधिकारी उसकी पड़ताल करने के लिए संभल पहुंचे। लेकिन परिजनों ने हर बार कोई संपर्क नहीं होने की जानकारी दी। अब मौलाना आसिम उमर उर्फ शन्नू मारा गया है तो खुफिया विभाग को सईद अख्तर की याद आ गई है।
उसकी पड़ताल के लिए उसके परिजनों से संपर्क किया गया है। खुफिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मालूम हुआ कि उन्होंने सईद अख्तर के बारे में जानकारी की है। लेकिन उसके परिजनों ने किसी भी जानकारी से इंकार किया है। परिजनों का कहना है कि उनको नहीं पता कि वह जिंदा है या मर गया। उसने कभी कोई संपर्क नहीं किया। इसलिए उसकी कोई जानकारी नहीं है।
दरअसल जिस समय शन्नू घर से लापता हुआ था। उसी दौर में सईद अख्तर भी लापता हुआ था। उस समय लोगों ने माना था कि यह दोनों साथ में ही कहीं निकल गए। लेकिन 2008 में शन्नू के घर तो खुफिया विभाग के अधिकारियों ने आकर बताया कि शन्नू अब मौलाना आसिम उमर बन गया है और पाकिस्तान में रहकर आतंकी गतिविधियों में लिप्त है।
लेकिन सईद अख्तर की ऐसी कोई जानकारी खुफिया विभाग को भी नहीं मिली। सईद अख्तर अब तक पहेली बना हुआ है। लेकिन समय समय पर उसकी पड़ताल की जाती रही है। इस बार भी की गई है। लेकिन नतीजा वही शून्य है।